पूरा नाम – भीमराव रामजी अम्बेडकर.
जन्म – 14 अप्रेल 1891.
जन्मस्थान – महू. (जि. इदूर मध्यप्रदेश).
पिता – रामजी.
माता – भीमाबाई.
शिक्षा -* 1915 में एम. ए. (अर्थशास्त्र). * 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय में से PHD. * 1921 में मास्टर ऑफ सायन्स. * 1923 में डॉक्टर ऑफ सायन्स.
विवाह – दो बार, पहला रमाबाई के साथ (1908 में) दूसरा डॉ. सविता कबीर के साथ (1948 में)
जन्म – 14 अप्रेल 1891.
जन्मस्थान – महू. (जि. इदूर मध्यप्रदेश).
पिता – रामजी.
माता – भीमाबाई.
शिक्षा -* 1915 में एम. ए. (अर्थशास्त्र). * 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय में से PHD. * 1921 में मास्टर ऑफ सायन्स. * 1923 में डॉक्टर ऑफ सायन्स.
विवाह – दो बार, पहला रमाबाई के साथ (1908 में) दूसरा डॉ. सविता कबीर के साथ (1948 में)
Dr. Br Ambedkar Biography In Hindi
भीमराव रामजी आम्बेडकर का जन्म ब्रिटिशो द्वारा केन्द्रीय प्रान्त (अब मध्यप्रदेश में) में स्थापित नगर व सैन्य छावनी मऊ में हुआ था. वे रामजी मालोजी सकपाल जो आर्मी कार्यालय के सूबेदार थे और भीमाबाई की 14 वी व अंतिम संतान थे. उनका परिवार मराठी था और वे अम्बावाड़े नगर जो आधुनिक महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में है, से सम्बंधित था. वे हिंदु महार (दलित) जाती से संपर्क रखते थे, जो अछूत कहे जाते थे और उनके साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था.आंबेडकर के पूर्वज लम्बे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे और उनके पिता, भारतीय सेना की मऊ छावनी में सेवा में थे ओए यहाँ काम करते हुए वो सूबेदार के पद तक पहुचे थे. उन्होने अपने बच्चो को स्कूल में पढने और कड़ी महेनत करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया. स्कूली पढाई में सक्षम होने के बावजूद आम्बेडकर और अन्य अस्पृश्य बच्चो को विद्यालय में अलग बिठाया जाता था और अध्यापको द्वारा न तो ध्यान दिया जाता था, न ही उनकी कोई सहायता की. उनको कक्षा के अन्दर बैठने की अनुमति नहीं थी, साथ ही प्यास लगने पर कोई उची जाती का व्यक्ति उचाई से पानी उनके हातो पर डालता था, क्यू की उनकी पानी और पानी के पात्र को भी स्पर्श करने की अनुमति नहीं थी. लोगो के मुताबिक ऐसा करने से पात्र और पानी दोनों अपवित्र हो जाते थे. आमतौर पर यह काम स्कूल के चपरासी द्वारा किया जाता था जिसकी अनुपस्थिति में बालक आंबेडकर को बिना पानी के ही रहना पड़ता था. बाद में उन्होंने अपनी इस परिस्थिती को “ना चपरासी, ना पानी” से लिखते हुए प्रकाशित किया.
1894 में रामजी सकपाल सेवानिर्वुत्त हो जाने के बाद वे सहपरिवार सातारा चले गये और इसके दो साल बाद, आंबेडकर की माँ की मृत्यु हो गयी. बच्चो की देखभाल उनकी चची ने कठिन परिस्थितियों में रहते हुए की.रामजी सकपाल के केवल तिन बेटे, बलराम, आनंदराव और भीमराव और दो बेटियों मंजुला और तुलासा ही इन कठिन हालातो में जीवीत बाख पाए. अपने भाइयो और बहनों में केवल आंबेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए ओर इसके बाद बड़े स्कूल में जाने में सफल हुए. अपने एक देशस्त ब्राह्मण शिक्षक महादेव आंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे के कहने पर अम्बावडेकर ने अपने नाम से सकपाल हटाकर आंबेडकर जोड़ लिया जो उनके गाव के नाम “अम्बावाड़े” पर आधारित था.
भीमराव आंबेडकर को आम तौर पर बाबासाहेब के नाम से जाने जाता हे, वे एक भारतीय न्यायशास्त्री, अर्थशास्त्री, राजनेता और सामाजिक सुधारक थे जिन्होंने आधुनिक बुद्धिस्ट आन्दोलनों को प्रेरित किया और सामाजिक अंतर/भेदभाव के विरुद्ध दलितों के साथ अभियान चलाया, स्त्रियों और मजदूरो के हक्को के लिए लड़े. वे स्वतंत्र भारत के पहले विधि शासकीय अधिकारी थे और साथ ही भारत के संविधान निर्माता भी थे.
आंबेडकर एक बहोत होशियार और कुशल विद्यार्थी थे, उन्होंने कोलम्बिया विश्वविद्यालय और लन्दन स्कूल ऑफ़ इकनोमिक से बहोत सारी क़ानूनी डिग्री प्राप्त कर रखी थी और अलग-अलग क्षेत्रो में डॉक्टरेट कर रखा था, उनकी कानून, अर्थशास्त्र और राजनितिक शास्त्र पर अनुसन्धान के कारन उन्हें विद्वान की पदवी दी गयी. उनके प्रारंभिक करियर में वे एक अर्थशास्त्री, प्रोफेसर और वकील थे. बाद में उनका जीवन पूरी तरह से राजनितिक कामो से भर गया, वे भारतीय स्वतंत्रता के कई अभियानों में शामिल हुए, साथ ही उस समय उन्होंमे अपने राजनितिक हक्को और दलितों की सामाजिक आज़ादी, और भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए अपने कई लेख प्रकाशित भी किये, जो बहोत प्रभावशाली साबित हुए.1956 में उन्होंने धर्म परिवर्तन कर के बुद्ध स्वीकारा, और ज्यादा से ज्यादा लोगो को इसकी दीक्षा भी देने लगे.
1990 में, मरणोपरांत आंबेडकर को सम्मान देते हुए, भारत का सबसे बड़ा नागरिकी पुरस्कार, “भारत रत्न” जारी किया. आंबेडकर की म्हणता के बहोत सारे किस्से और उनके भारतीय समाज के चित्रण को हम इतिहास में जाकर देख सकते है.
जरुर पढ़े :- Dr Br Ambedkar Thoughts In Hindi
एक नजर में बाबासाहेब अम्बेडकर की जानकारी – Dr BR Ambedkar In Hindi
1920 में ‘मूक नायक’ ये अखबार उन्होंने शुरु करके अस्पृश्यों के सामाजिक और राजकीय लढाई को शुरुवात की.
1920 में कोल्हापुर संस्थान में के माणगाव इस गाव को हुये अस्पृश्यता निवारण परिषद में उन्होंने हिस्सा लिया.
1924 में उन्होंने ‘बहिष्कृत हितकारनी सभा’ की स्थापना की, दलित समाज में जागृत करना यह इस संघटना का उद्देश था.
1927 में ‘बहिष्कृत भारत’ नामका पाक्षिक शुरु किया.
1927 में महाड यहापर स्वादिष्ट पानी का सत्याग्रह करके यहाँ की झील अस्प्रुश्योको पिने के पानी के लिए खुली कर दी.
1927 में जातिव्यवस्था को मान्यता देने वाले ‘मनुस्मृती’ का उन्होंने दहन किया.
1928 में गव्हर्नमेंट लॉ कॉलेज में उन्होंने प्राध्यापक का काम किया.
1930 में नाशिक यहा के ‘कालाराम मंदिर’ में अस्पृश्योको प्रवेश देने का उन्होंने सत्याग्रह किया.
1930 से 1932 इस समय इ इंग्लड यहा हुये गोलमेज परिषद् में वो अस्पृश्यों के प्रतिनिधि बनकर उपस्थिति रहे. उस जगह उन्होंने अस्पृश्यों के लिये स्वतंत्र मतदार संघ की मांग की. 1932 में इग्लंड के पंतप्रधान रॅम्स मॅक्ड़ोनाल्ड इन्होंने ‘जातीय निर्णय’ जाहिर करके अम्बेडकर की उपरवाली मांग मान ली.
जातीय निर्णय के लिये महात्मा गांधी का विरोध था. स्वतंत्र मतदार संघ की निर्मिती के कारण अस्पृश्य समाज बाकी के हिंदु समाज से दुर जायेगा ऐसा उन्हें लगता था. उस कारण जातीय निवडा के तरतुद के विरोध में गांधीजी ने येरवड़ा (पुणे) जेल में प्रनांतिक उपोषण आरंभ किया. उसके अनुसार महात्मा गांधी और डॉ. अम्बेडकर बिच में 25 डिसंबर 1932 को एक करार हुवा. ये करार ‘पुणे करार’ इस नाम से जाना है. इस करारान्वये डॉ. अम्बेडकर ने स्वतंत्र मतदार संघ की जिद् छोडी. और अस्पृश्यों के लिये कंपनी लॉ में आरक्षित सीटे होनी चाहिये, ऐसा आम पक्षियों माना गया.
1935 में डॉ.अम्बेडकर को मुंबई के गव्हर्नमेंट लॉ कॉलेज के अध्यापक के रूप में चुना गया.
1936 में सामाजिक सुधरना के लिये राजकीय आधार होना चाहिये इसलिये उन्होंने ‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ स्थापन कि.
1942 में ‘शेड्युल्ट कास्ट फेडरेशन’ इस नाम के पक्ष की स्थापना की.
1942 से 1946 इस वक्त में उन्होंने गव्हर्नर जनरल की कार्यकारी मंडल ‘श्रम मंत्री’ बनकर कार्य किया.
1946 में ‘पीपल्स एज्युकेशन सोसायटी’ इस संस्थाकी स्थापना की.
डॉ. अम्बेडकर ने घटना मसौदा समिति के अध्यक्ष बनकर काम किया. उन्होंने बहोत मेहनत पूर्वक भारतीय राज्य घटने का मसौदा तयार किया. और इसके कारण भारतीय राज्य घटना बनाने में बड़ा योगदान दिया. इसलिये ‘भारतीय राज्य घटना के शिल्पकार’ इस शब्द में उनका सही गौरव किया जाता है. *स्वातंत्र के बाद के पहले मंत्री मंडल में उन्होंने कानून मंत्री बनकर काम किया.
1956 में नागपूर के एतिहासिक कार्यक्रम में अपने 2 लाख अनुयायियों के साथ उन्होंने बौध्द धर्म की दीक्षा ली.
Br Ambedkar Book’s – किताबे :-
* हु वेअर शुद्राज?,
* दि अनरचेबल्स,
* बुध्द अॅड हिज धम्म,
* दि प्रब्लेंम ऑफ रूपी,
* थॉटस ऑन पाकिस्तान आदी.
* हु वेअर शुद्राज?,
* दि अनरचेबल्स,
* बुध्द अॅड हिज धम्म,
* दि प्रब्लेंम ऑफ रूपी,
* थॉटस ऑन पाकिस्तान आदी.
Br Ambedkar Awards – पुरस्कार :- 1990 में ‘बाबा साहेब’ को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया.
Br Ambedkar Death – मृत्यु :- 6 दिसंबर 1956 को लगभग 63 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया.
एक महापुरुष, दलितों के शुभचिंतक तथा योग्य संविधान निर्माता के रूप में डॉ. अम्बेडकर को सदा आदर से स्मरण किया जायेगा.
भीमराव रामजी आंबेडकर जो विश्व विख्यात है. जिन्होंने अपना पूरा जीवन बहुजनो को उनका अधिकार दिलाने में व्यतीत किया. उनकी इस जीवनी को देखते हुए निच्छित ही यह लाइन उनपर सम्पूर्ण रूप से सही साबित होगी—
“जीवन लम्बा होने की बजाये महान होना चाहिये”. जिस समय सामाजिक स्तर पर बहुजनो को अछूत मानकर उनका अपमान किया जाता था, उस समय आंबेडकर ने उन्हें वो हर हक्क दिलाया जो एक समुदाय को मिलना चाहिये. हमें भी अपने आसपास के लोगो में भेदभाव ना करते हुए सभी को एक समान मानना चाहिये. हर एक इंसान का जीवन स्वतंत्र है, हमें समाज का विकास करने से पहले खुद का विकास करना चाहिये. क्योकि अगर देश का हर एक व्यक्ति एक स्वयं का विकास करने लगे तो, हमारा समाज अपने आप ही प्रगतिशील हो जायेंगा.
हमें जीवन में किसी एक धर्म को अपनाने की बजाये, किसी ऐसे धर्म को अपनाना चाहिये जो स्वतंत्रता, समानता और भाई-चारा सिखाये.
No comments:
Post a Comment